Golden Rules of Accounting in Hindi
पहले हम उन 3 Golden Rules of Accounting पर नज़र डालते है जो हमें सिखाये जाते है और हर जगह केवल यही Rules हमें बताये जाते है जो कुछ इस प्रकार है -
1. व्यक्तिगत खाता (Personal Account)पाने वाले को Dr. करो (Debit the Receiver)
देने वाले को Cr. करो (Credit the Giver)
2. वस्तुगत खाता (Real Account)जो वस्तु व्यापार में आये उसे Dr. करो (Debit What Comes in)
जो वस्तु व्यापार से जाए उसे Cr. करो (Credit What Goes out)
3. नाममात्र खाता (Nominal Account)समस्त खर्चो एंव हानियों को Dr. करो (Debit All Expenses & Loss)
समस्त आय एंव लाभों को Cr. करो (Credit All Income & Profit)
दोस्तों ये Golden Rules of Accounting है जो हम Commerce में सीखते है और बहुत सारे Students को इसे समझने में काफी परेशानी भी होती है और बहुत Confusion भी होती है की आखिर किसको Debit किया जाए और किसको Credit किया जाए और मेरे पास आपकी इसी परेशानी का समाधान भी है.
मैं आपको बताऊंगा Modern Golden Rules of Accounting और इस नियम से आप बहुत ही आसानी से किसी भी Entry को Debit और Credit करना सीख सकते हो यहाँ तक की आपको इस हद तक Debit और Credit करना आ जायेगा की इसमें आपको मजा आने लगेगा जी हाँ ! दोस्तों Debit और Credit करना आपको खेल लगने लगेगा तो चलिए देखते है क्या है Modern Golden Rules of Accounting
Modern Golden Rules of Accounting...
जो Accounting के Modern Rules है वो इस प्रकार है-
1. Liability यानी मांगने वाले, बढ़ते है तो Credit करो और घटते है तो Debit करो
2. Assets यानी हमारी संपतिया, घटती है तो Credit करो और बढती है तो Debit करो
3. Expenses यानी हमारे खर्चे, बढ़ते है तो Debit करो और घटते है तो Credit करो
4. Income यानी हमारी आय, बढती है तो Credit करो और घटती है तो Debit करो
ऊपर दी गई चार Lines अगर आपको समझ में आ रही है तो इस Post को आपको आगे पढने की जरुरत नहीं है और अगर आपको ये चार Lines समझ में नहीं आ रही है तो इस Post को आपको आखिर तक पढना और समझना पढ़ेगा...
What Are Modern Golden Rules of Accounting ?
Golden Rules of Accounting के Modern Rules को समझने से पहले हमें 2 चीजों को समझना पड़ेगा जो इस प्रकार से है -
1. Accounting Group क्या होते है
2. Accounting Group का Nature क्या होता है
तो हम One By One दोनों Topic को समझेंगे
1. Accounting Group क्या होते है
अगर आप किसी भी Accounting Software में काम कर रहे है जैसे Tally ERP9, Busy या Marg Software या फिर इनमे से किसी भी Accounting Software में काम नहीं भी करते है तो मैं आपको बताता हूँ की Accounting में होने वाली हर एक Entry में जो Ledger (खाते) बनते है उन सभी Ledger (खाते) के अलग अलग Group होते है और Accounting में कुल 27 ऐसे Group होते है जो निम्न प्रकार से है जैसे –
1. Bank Account – जो हमारे Bank खाते है
2. Bank OD Account – जो भी हमने किसी Bank से Overdraft Limit ले रखी है
3. Branch/Division – किसी भी बढ़ी Company की अलग अलग जगह पर स्थित शाखाये
4. Capital Account – जिन रुपयों से हमने व्यापार शुरू किया है
5. Cash-in-Hand – जो भी हमारे पास नकद रुपया पड़ा है
6. Current Assets – ऐसी संपतिया जो कभी घटती है तो कभी बढती है
7. Current Liabilities – ऐसे दायित्व जो कभी घटते है तो कभी बढ़ते है
8. Deposit (Assets) – ऐसे रूपये जो हमने किसी को Security के तौर पर जमा करवाके रखे है
9. Direct Expenses – व्यापार में होने वाले सभी प्रत्यक्ष खर्चे
10. Direct Income – व्यापार में होने वाली सभी प्रत्यक्ष आय
11. Duties& Taxes – माल की खरीद और बिक्री पर लगने वाला Tax
12. Fixed Assets – व्यापार की सभी स्थायी संपतिया
13. Indirect Expenses – व्यापार में होने वाले सभी अप्रत्यक्ष खर्चे
14. Indirect Income – व्यापार में होने वाली सभी अप्रत्यक्ष आय
15. Investment – किसी भी तरह का किया गया निवेश
16. Loan & Advances (Assets) – हमारे द्वारा किसी को दिया गया Loan या Advance
17. Loan (Liability) – हमारे द्वारा किसी से भी लिया गया गया Loan
18. Misc.Expenses Assets – ऐसे खर्च जो हो सकते हो पर हुवे न हो
19. Provision – व्यापार के बेहतर भविष्य के लिए पहले से तैयार किया गया प्रावधान
20. Purchase Account – व्यापार में होने वाली सभी तरह की खरीद
21. Reserve & Surplus – व्यापार के बेहतर भविष्य के लिए बचाया गया धन
22. Sales Account – व्यापार में होने वाली सभी तरह की बिक्री
23. Secured Loans – जिनसे हमने Security देकर Loan ले रखा है
24. Stock in Hand – वो माल जो अभी व्यापार में पड़ा है
25. Sundry Creditors – जो हमसे रूपये मांगते है
26. Sundry Debtors – जिनसे हम रूपये मांगते है
27. Unsecured Loan – जिनसे हमने बिना Security देकर Loan ले रखा है
तो ऊपर जितने भी Group मैंने आपको बताये है उनकी बहुत छोटी सी Detail मैंने आपको इस Post में बताई जबकि इन सभी Group को और भी ज्यादा बेहतर ढंग से आप समझ सकते है और अगर आप समझना चाहते है तो दी गई Link पर Click करके आप Accounting के हर Group को Detail में समझ सकते है -
What Are Groups in Accounting
Anyway मैंने आपको ये तो बता दिया की Accounting Group क्या होते है अब दूसरा Topic लेते है –
2. Accounting Group का Nature क्या होता है
Accounting के जितने भी Group होते है उन सभी Group का इन 4 में से कोई भी एक Nature होता है -
1. Liability
2. Assets
3. Expenses
4. Income
अब हमें एक आखिरी चीज़ और समझनी है उसके बाद हम Modern Golden Rules of Accounting की तरफ बढ़ेंगे -
बस अब हमें पता लगाना है कि कौन-कौनसे Group का Nature - Liability का है, कौन-कौनसे Group का Nature – Assets का है, कौन-कौनसे Group का Nature – Expenses का है और कौन-कौनसे Group का Nature – Income का है, आईये पता लगाते है.
Liability के Nature में आने वाले Group-
सबसे पहले Liability का मतलब क्या होता है वो जान लेते है Liability का मतलब होता है उत्तरदायित्व और इसे सरल भाषा में Convert करे तो Liability का मतलब होता है वो पैसा जो हमें किसी न किसी को देना है या हमसे कोई न कोई मांगता है जैसे-
1. Bank OD Account – जो भी हमने Bank से Overdraft ले रखा है वो Bank का पैसा है और हमें कभी न कभी Bank को वापस करना है ये हमारी Liability है
2. Capital Account – जो भी व्यापारी ने Business में रकम लगायी है कम से कम उतनी रकम उस व्यापारी को Business बंद हो तब वापस मिल जाये ये Business की Liability है
3. Current Liability – अगर हमने किसी Customer से Advance ले रखा है तो या तो उस Advance के बदले में उस Customer को माल दिया जाया या फिर Advance लिया गया पैसा वापस लौटा दिया जाये ये भी हमारी Liability है
4. Duties & Taxes – वो Tax जो हमारे पास पड़ा है जो हमें सरकार को जमा करवाना है ये हमारी Liability है
5. Loan (Liability)– वो Loan जो हमने किसी से भी लिए हुवे है और जो भी Loan हमने लिए हुवे है उनका पैसा ब्याज सहित वापस लौटाना हमारी Liability है
6. Secured Loan– अगर हमने किसी से भी Security देकर Loan लिया हुवा है तो ये हमारी जिम्मेदारी है की Loan वापस चुकता करके दी हुई Security को वापस प्राप्त करे
7. Unsecured Loan– और अगर हमने बिना Security के भी अगर Loan लिया हुवा है तो भी हम पर ये जिम्मेदारी है की लिया गया Loan ब्याज सहित वापस लौटा दे
Assets के Nature में आने वाले Group
अब हम सबसे पहले ये समझते है की Assets का मतलब क्या होता है Assets का हिंदी में अर्थ होता है सम्पति यानी वो पैसा जो हमारा है और वो सम्पति जो हमारी है चाहे वो किसी के भी पास पड़ी है चाहे नकद के रूप में या किसी दुसरे रूप में जैसे -
1. Bank Account – किसी भी Bank में हमारा पैसा पड़ा है तो वो हमारी सम्पति है उन पर हमारा हक होता है हम जब चाहे तब वो पैसा निकाल सकते है
2. Branch/Division – किसी भी Company की किसी भी Branch में जो भी माल पड़ा है वो भी उसका होता है जो वो Company चला रहा है
3. Cash-in-Hand– जो भी नकद रूपये हमारे पास पड़े है वो सब हमारे ही है और उन पर हमारा हक है और वो भी हमारी सम्पति है
4. Deposit (Assets) – जो भी पैसा हमने कही पर भी Security के रूप में जमा करवाया हुवा है जो हमें वापस मिलना है वो पैसा भी हमारा ही है और हमारी सम्पति है चाहे वो किसी के भी पास पड़ा है
5. Fixed (Assets) – व्यापार में जो भी स्थायी संपतिया होती है जैसे Computer, AC, Furniture इसे Fixed Assets कहते है और ये भी हमारी ही सम्पति है
6. Investment– अगर हमने कही पर भी बचत के लिए पैसा Invest किया हुवा है जैसे Bank FD, Bank RD या Mutual Fund में तो वो पैसा भी हमारा ही है उन पर हमारा हक है और वो पैसा भी हमारी सम्पति है
7. Stock-in-Hand – जो भी माल हमारे पास अभी पड़ा है या जो माल हमारी दूकान में पड़ा है वो भी हमारी ही सम्पति है
8. Sundry Debtors – जिनसे भी हम पैसे मांगते है उनके पास जो पैसा पड़ा है वो हमारा है और उन पर हमारा हक है और वो हमारी सम्पति है
Expenses के Nature में आने वाले Group
जो भी व्यापार में हमारा खर्चा होता है उसे Expenses कहते है और 3 ही Group है जिनका Nature Expenses का होता है जैसे
1. Direct Expenses – व्यापार में होने वाले प्रत्यक्ष खर्चे जिन खर्चो के बगैर व्यापार चलाना मुश्किल होता है वो प्रत्यक्ष खर्चे कहलाते है जैसे मशीन को चलने के लिए इंधन का खर्चा. ख़राब मशीन को सही करने का खर्चा आदि
2. Indirect Expenses – व्यापार में होने वाले अप्रत्यक्ष खर्चे जिन खर्चो से व्यापार को और बेहतर ढंग से चलाया जा सकता है वो Indirect Expenses कहलाते है जैसे Staff Salary, Tea & Snacks आदि
3. Purchase Account – माल की खरीद को खर्चा माना जाता है वो इसलिए क्यूंकि अगर हमने जो माल ख़रीदा है वो अगर बिकता ही नहीं है तो हमारा एक तरह से नुक्सान या खर्चा हो जाता है |
Income के Nature में आने वाले Group
जो भी व्यापार में हमारी आय होती है उसे Income कहते है और 3 ही ऐसे Group है जिनका Nature Income का होता है जैसे
1. Direct Income – वो आय जो मुख्य व्यापार से होती है उसे Direct Income कहते है जैसे Mobile Recharge और Mobile Repairing से होने वाली Income
2. Indirect Income – वो आय जो व्यापार के अलावा किसी दुसरे से तरीके से होती है उसे Indirect Income कहते है जैसे कमीशन प्राप्त होना या Bank से ब्याज प्राप्त होना
3. Sales Account – व्यापार में होने वाली बिक्री को Income का Nature दिया जाता है क्यूंकि जो माल हमने ख़रीदा है वो जितना बिकेगा उतनी ही ज्यादा Income होगी
तो दोस्तों हमने Accounting में Group क्या होते है वो भी समझ लिया और हर एक Accounting Group का Nature क्या होता है वो भी समझ लिया तो अब हम वापस बढ़ते है अपने मुख्य Topic की तरफ –
Modern Golden Rules of Accounting
जो Rules मैंने आपको शुरू में ही बता दिए था वो इस प्रकार है
1. Liability यानी मांगने वाले बढ़ते है तो Credit करो और घटते है तो Debit करो
2. Assets यानी हमारी संपतिया घटती है तो Credit करो और बढती है तो Debit करो
3. Expenses यानी हमारे खर्चे बढ़ते है तो Debit करो और घटते है तो Credit करो
4. Income यानी हमारी आय बढती है तो Credit करो और घटती है तो Debit करो
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